एम एफ़ हुसैन
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मकबूल फ़िदा हुसैन (जन्म सितम्बर १७, १९१५, पंढरपुर), एम एफ़ हुसैन के नाम से जाने जाने वाले भारतीय कलाकार है ।
एक कलाकार के तौर पर उन्हे सबसे पहले १९४० के दशक में ख्याति मिली । १९५२ में उनकी पहली एकल प्रदर्शनी ज़्युरिक में हुई। इसके बाद उनकी कलाकृतियों की अनेक प्रदर्शनियां यूरोप और अमेरिका में हुईं।
१९६६ में भारत सरकार ने उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया । उसके एक साल बाद उन्होने अपनी पहली फ़िल्म बनायी: थ्रू द आइज़ आफ अ पेन्टर (चित्रकार की दृष्टि से) । यह फ़िल्म बर्लिन उत्सव में दिखायी गयी और उसे 'गोल्डेन बियर' से पुरस्कृत किया गया।।
[बदलें] जीवन परिचय
हुसैन बहुत छोटे थे जब उनकी मां का देहांत हो गया। इसके बाद उनके पिता इंदौर चले गए जहाँ हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा हुई। बीस साल की उम्र में हुसैन बम्बई गये और उन्हे जे जे स्कूल ओफ़ आर्ट्स में दाखला मिल गया । शुरुआत में वे बहुत कम पैसो में सिनेमा के होर्डिन्ग बनाते थे । कम पैसे मिलने की वजह से वे दूसरे काम भी करते थे जैसे खिलोने की फ़ैक्टरी में जहाँ उन्हे अच्छे पैसे मिलते थे । पहली बार उनकी पैन्टिन्ग दिखाये जाने के बाद उन्हे बहुत प्रसिद्धी मिली। अपनी प्रारंभिक प्रदर्शनियों के बाद वे प्रसिद्धि के सोपान चढ़ते चले गए और आज विश्व के अत्यंत प्रतिभावान कलाकारों में उनकी गिनती होती है।