ज्योर्ज फ़र्नान्डिस
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
क्योंकि वे जॉर्ज फ़र्नांडिस हैं... बात 1977 के बाद की है. मुज़फ़्फ़रपुर के सांसद जेल से रिहा हो चुके थे और केंद्र में मंत्री भी बन चुके थे. जेल में रहकर ही उन्होंने चुनाव जीता था और वे अपने संसदीय क्षेत्र के पहले दौरे पर थे. किसी गाँव में उन्होंने पीने का पानी माँगा और उनके किसी कार्यकर्ता ने उन्हें यह कहकर कोका कोला दे दिया कि ‘यहाँ का पानी आपके पीने के लायक़ नहीं है.’ ये सांसद जॉर्ज फ़र्नांडिस थे और उस समय संचार मंत्री थे. पानी की जगह कोका कोला का दिया जाना उन्हें अखर गया. थोड़े दिनों बाद जब वे उद्योग मंत्री बने तो उन्होंने कोका कोला को बोरिया-बिस्तर बाँधकर भारत से वापस भेज दिया. जॉर्ज फ़र्नाडिस के इस निर्णय की दुनिया भर में चर्चा हुई. इसके बाद वे 1980, 1989 और 1991 में मुज़फ़्फ़रपुर से और सांसद चुने गए. पानी और कोका कोला फिर उन्होंने चुनाव क्षेत्र बदल लिया और अब, कोई सात साल बाद एक बार फिर वे मुज़फ़्फ़रपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बीच कोका कोला भारत से जाकर वापस लौट चुका है. ज़ाहिर है कि कोका कोला मुज़फ़्फ़रपुर के लगभग हर दूसरी-तीसरी दूकान में बिक रहा है. लेकिन क्या वहाँ के लोगों को अब पीने का पानी मिल रहा है? इस सवाल पर मुज़फ़्फ़रपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक हिंदुस्तान के संपादक सुकांत कहते हैं,मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले या संसदीय क्षेत्र की बात तो छोड़ दीजिए, शहर में पानी आपूर्ति की जो व्यवस्था है वह 1953-54 की व्यवस्था है और बहुत काम की नहीं बची है. उनका कहना है कि पीने के पानी की व्यवस्था बहुत ख़राब है और लोग कई जगह प्रदूषित पानी पीकर बीमार हो रहे हैं. मुज़फ़्फ़रपुर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित गाँव कठिया की हमिदा ख़ातून बताती हैं कि जिस हैंडपंप को गहरा करके डेढ़-दो सौ फुट तक किया गया है सिर्फ़ उसी पंप का पानी पीने लायक है. वे कहती हैं, बाक़ी का तो पानी आप पी भी नहीं सकते और जो पी रहे हैं वे बीमार हो रहे हैं. रक्षा मंत्री और एनडीए के संयोजक जॉर्ज फ़र्नांडिस के संसदीय क्षेत्र में कोई दो सौ किलोमीटर की यात्रा के बाद एक भी मतदाता ऐसा नहीं मिला जो कह सके कि मुज़फ़्फ़रपुर में पीने का पानी ठीक ठीक मिल रहा है. लेकिन जॉर्ज फ़र्नांडिस को मुज़फ़्फ़रपुर से पहला चुनाव जीते पच्चीस साल से ज़्यादा समय बीत चुका है. इस बीच वे चार बार वहाँ से सांसद रह चुके हैं लेकिन पानी की समस्या वहीं की वहीं है. फिर मुज़फ़्फ़रपुर में इस बार एक बार फिर जॉर्ज फ़र्नांडिस मुज़फ़्फ़रपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि मतदान के पंद्रह दिन पहले मुज़फ़्फ़रपुर शहर में जॉर्ज फ़र्नांडिस के प्रचार का न तो कोई पोस्टर था और न कोई बैनर. पूरे शहर में उनकी पार्टी का कोई कार्यालय भी दिखाई नहीं पड़ा. लेकिन जितने लोगों से मैंने बात की वे सब जानते हैं कि जॉर्ज फ़र्नांडिस फिर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके क्षेत्र के एक मतदाता का कहना था कि एनडीए के नेता सोनिया गाँधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर बेकार ही शोर मचा रहे हैं. लेकिन वे मानते हैं कि मुज़फ़्फ़रपुर से हर हाल में जॉर्ज फ़र्नांडिस को जीतना चाहिए क्योंकि वे इंटरनेशनल नेता हैं. समता पार्टी (या अब जनता दल यू ) की अंदरुनी राजनीति के चलते जॉर्ज फ़र्नांडिस को मुज़फ़्फ़रपुर आना पड़ गया है लेकिन यहाँ की जनता अब भी उनको इसलिए याद करती है कि उन्होंने मुज़फ़्फ़रपुर को काँटी थर्मल पॉवर स्टेशन, आईडीपीएल दिए और भारत वैगन का राष्ट्रीयकरण करवाया. भले ही ये तीनों संयंत्र अब मुसीबत में हों लेकिन लोग मानते हैं कि जॉर्ज आएँगे तो कुछ काम होगा. संवाददाता मानते हैं कि जॉर्ज से सवाल तो ज़रुर पूछे जाएँगे लेकिन उनके लिए चुनाव जीतना कोई मुद्दा नहीं है. रक्षा मंत्री के रुप में उनका विवादास्पद कार्यकाल और उनकी राजनीति इस क्षेत्र में लोगों को कोई मुद्दा ही नज़र नहीं आती क्योंकि वे जॉर्ज फ़र्नांडिस हैं.