नंद दास
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वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया
नंददास जी के कुछ पद
नंद भवन को भूषण माई ।
यशुदा को लाल, वीर हलधर को, राधारमण सदा सुखदाई ॥
इंद्र को इंद्र, देव देवन को, ब्रह्म को ब्रह्म, महा बलदाई ।
काल को काल, ईश ईशन को, वरुण को वरुण, महा बलजाई ॥
शिव को धन, संतन को सरबस, महिमा वेद पुराणन गाई ।
‘नंददास’ को जीवन गिरिधर, गोकुल वंदन कुंवर कन्हाई ॥
प्रात समय श्री वल्ल्लभ सुत को, पुण्य पवित्र विमल यश गाऊँ ।
सुन्दर सुभग वदन गिरिधर को, निरख निरख दोउ दृगन खिलाऊं ॥
मोहन मधुर वचन श्री मुख तें, श्रवनन सुन सुन हृदय बसाऊँ ।
तन मन धन और प्रान निवेदन, यह विध अपने को सुफ़ल कराऊँ ॥
रहों सदा चरनन के आगे, महाप्रसाद को झूठन पाऊँ ।
नंददास प्रभु यह माँगत हों वल्लभ कुल को दास कहाऊँ ॥