नीम
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नीम भारतीय मूल का एक सदाबहार वृक्ष है। यह सदियों से समीपवर्ती देशों-पािकस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेिशया, श्रीलंका आिद में पाया जाता रहा है। लेकिन विगत लगभग डेढ़ सौ वर्षों में यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एवं मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीप समूह के अनेक उष्ण तथा उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है।
नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो कि भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम है ‘Melia azadirachta अथवा Azadiracta Indica’। इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली है।
१- नीम का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है।
२- नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
३- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है। हां पत्तियां कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना पड़ेगा मसलन स्वाद।
४- नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
५- नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहां मलेरिया नहीं फैलता है।
६- नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
७- नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
८- नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
९- नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फायदा होता है।
१०- नीम के तेल की ५-१० बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है।
११- नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।