समाजशास्त्र
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आत्मवाद, मानववाद तथा प्रकृतिवाद, समाजशास्त्र के अभिन्न अंग हैं। मानववाद तथा प्रकृतिवाद,समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्र दोनों में ही अध्ययन के विषय रहे है।आदिम-युग के धर्म-सिध्दान्त में पेङ,पौधे,पशु,जीव तथा कभी-कभी निर्जीव वस्तु भी आत्मा धारण करती हैं।