ग्वालियर
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
ग्वालियर | |
प्रदेश - जिलाएँ |
मध्य प्रदेश - ग्वालियर जिला |
स्थान | 26.14° N 78.10° E |
क्षेत्रफल | 5,214 स.की.मी |
समय मण्डल | IST (UTC+5:30) |
जनसंख्या (2001) - घनत्व |
16,29,881 - /स.कि.मी. |
महापौर | |
नगर पालिका अध्यक्ष | |
संकेतक - डाक - दूरभाष - वाहन |
- 474 xxx - +91 (0)751 - MP-07 |
ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। ये शहर और इसका किला उत्तर भारत के प्राचीन शहरोँ क केन्द्र रहे हैँ ।
[संपादित करें] ग्वालियर के कुम्हार
ग्वालियर मृणशिल्पों की द्वष्टि से आज उतना समृद्व भले ही न दीखता हो किन्तु लगभग पच्चीस वर्ष पहले तक यहां अनेक सुन्दर खिलौने बनाये जाते थे। दीवाली दशहरे के समय यहां का जिवाजी चौक जिसे बाड़ा भी कहा जाता है, में खिलौनों की दुकाने बड़ी संखया में लगती थी। मिटटी के ठोस एवं जल रंगों से अलंकृत वे खिलौने अधिकांशतः बनना बन्द हो गए हैं। गूजरी, पनिहारिन, सिपाही, हाथी सवार,घोड़ा सवार, गोरस, गुल्लक आदि आज भी बिकतेे है। अब यहां मिटटी के स्थान पर कागज की लुगदी के खिलौने अधिक बनने लगे हैं जिन पर स्प्रेगन की सहायता से रंग ओर वार्निश किया जाता है।
यहां बनाये जाने वाले मृण शिल्पों में अनुष्ठानिक रुप से महत्वपूर्ण है, महालक्षमी का हाथी, हरदौल का धोड़ा, गाणगौर, विवाह के कलश, टेसू, गौने के समय वधूु को दी जाने वाली चित्रित मटकी आदि।
ग्वालियर, कुम्हार समुदाय की सामाजिक संरचना के अध्ययन की द्वष्टि से भी अत्यनत महत्वपूर्ण है, कयोंकि यहां हथेरिया एवं चकरेटिया दौनों ही प्रकार के कुम्हार पाये जाते है। हथरेटिया कुम्हार, चकरेटिया कुम्हारों की भांति बर्तन बनाने हेतु चाक का प्रयोग नहीं करते, वे हाथों से ही, एक कूंढे की सहायता से मिटटी को बर्तनों को आकार देते हैं। उनके बनाये बर्तनों की दीवारें मोटी होती हैं। ये लोग खिलौनें बनाने में दक्ष होते है।
[संपादित करें] ग्वालियर से प्रकाशित होने वाली हिन्दी की लघु-पत्रिकायें
मुख्य लेख: हिन्दी की लघु-पत्रिकायें
- आचार्य कुल
- चैतन्य प्रकाश
[संपादित करें] शिक्षा एवं शिक्षण संस्थान
ये लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है। आप इसे बढ़ाकर विकिपीडिया की मदद कर सकते है।