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पर्यटन भूगोल - विकिपीडिया

पर्यटन भूगोल

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

यह लेख निर्वाचित लेख बनने के लिए नामांकित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए और इस लेख को निर्वाचित लेख बनने के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं यह जानने के लिए कृपया यहाँ देखें
वास्को डि गामा कालीकट, भारत के तट पर मई 20, 1498.
वास्को डि गामा कालीकट, भारत के तट पर मई 20, 1498.

पर्यटन भूगोल या भू-पर्यटन, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा में पर्यटन एवं यात्राओं सम्बन्धित तत्वों का अध्यन, भौगोलिक पहलुओं को ध्यान मे रखकर किया जाता है। भूगोल और पर्यटन का सम्बन्ध बहुत पुराना रहा है। भूगोल ने पर्यटन को विकास का रास्ता दिखाया और इसी रास्ते पर चलकर पर्यटन ने भूगोल के लिए आवश्यक तथ्य एकत्रित किए। आमेरिगो वेस्पूची, फ़र्दिनान्द मैगलन, क्रिस्टोफ़र कोलम्बस, वास्को दा गामा और फ्रांसिस ड्रेक जैसे हिम्मती यात्रियों ने भूगोल का आधार लेकर समुद्री रास्तों से अनजान स्थानो की खोज प्रारम्भ की। और यही से भूगोल ने पर्यटन को एक प्राथमिक रूप प्रदान कर दिया था।

अनुक्रम

[संपादित करें] पर्यटन का भौगोलिक प्रारम्भ

वास्को दा गामा द्वारा अपनाया गया समुद्री मार्ग (१४९७- १४९९)
वास्को दा गामा द्वारा अपनाया गया समुद्री मार्ग (१४९७- १४९९)

प्राचीन काल से ही लोग एक स्थान से दूसरे स्थान को गमनागमन करते थे। अनेक प्रजातियां जैसे मंगोलायड प्रकाति, नीग्रोइड्स आदि ने अन्तरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण किया। किन्तु ये केवल जीवन के स्तर पर आधारित था और यह मानव बसाव की स्थायी प्रक्रिया थी एतएव इसका कोई पर्यटन महत्व नही कहा जा सकता। जब खोज का युग आया तो पुर्तगाली और चीनी आदि देशों के यात्रियों ने आर्थिक कारणो, धार्मिक कारणों एवं दूसरी संस्कृतियों को जानने और समझने की जिज्ञासा के साथ अनेक अज्ञात स्थानो की खोज की। इस समय परिवहन का साधन केवल समुद्री मार्ग एवं पैदल यात्रा थी। यहीं से पर्यटन को एक अलग रूप एवं महत्व मिलना प्रारम्भ हुवा |

[संपादित करें] भौगोलिक विचारधारा मे पर्यटन

अनेक प्रसिद्ध भूगोलवेत्तओं ने अनेक स्थानो की यात्राएं की। कुछ प्रसिद्ध भूगोलवेताओं द्वारा दिए पर्यटन सम्बन्धी विचार निम्नलिखित है।

[संपादित करें] यूनानी विचारधारा

पृथ्वी के आकार को नापने के लिए इरैटोस्थनिज़ की विधि
पृथ्वी के आकार को नापने के लिए इरैटोस्थनिज़ की विधि

प्राचीन यूनानी विद्वानो ने भूगोल का बहुत विकास किया यह वो काल था जब संसार केवल एशिया, युरोप और अफ्रीका तज ही सीमित था । अनेग्जीमेण्डर, ने अनेक स्थानो की यात्राएं की । उसे संसार का सर्वप्रथम मानचित्र निर्माता बताया गया ।[१] इरैटोस्थनिज़ ने पृथ्वी की परिधि नापने के लिए मिस्र के आस्वान क्षेत्र में साइने नामक स्थान को अपम प्रयोगस्थल बनाया,जो आज भी पर्यटको के लिए एक विशेष स्थल हैं । इसी प्रकार पोसिडोनियस ने भी अपने शास्त्रों भैतिक भूगोल पर बल दिया दूसरी तरफ उसने गेलेशिया के लोगो के बारे मे भी वर्णन किया । क्लाडियस टॉलमी ने अनेक ग्रंथो एवं मानचित्रो की रचना की । एक बडी रोचक घटना टॉलमी के बनाऐं मानचित्रो से जुडी है, पोसिडोनियस की माप को लेकर टॉलमी ने अपने मानचित्र बनाऐ थे । इसलिए उसमें यह दोष रहा कि उसमे पृथ्वी का आका छोटा था । टॉलमी के दोष का प्रभाव कोलम्बस की यत्राओं पर पडा, क्योकीं उसने अमेरिका को एशिया समझ लिया था ।

[संपादित करें] रोमन विचारधारा

स्ट्रैबो, पोम्पोनियस मेला और प्लिनी ने अनेक क्षेत्रो की यात्राएं की । स्ट्रैबो ने लिखा कि "भूगोल के द्वारा समस्त संसार के निवासियों से परिचय होता है । भूगोलवेत्ता एक ऐसा दार्शनिक होता है, जो मानवीय जीवन को सुखी बनाने और खोजो में संलग्न रहता है "[२] पोम्पोनियस मेला के ग्रन्थ कॉस्मोग्राफ़ी में विश्व का संक्षिप्त वर्णन मिलता है ।

[संपादित करें] अरब विचारधारा

प्रमुख अरब विद्वान अल-इदरीसी ने केवल पर्यटन के उद्देशय से ही एक ग्रथ लिखा "उसके लिए मनोरंजन विश्व भ्रमण की ईच्छा रखता है" इसके साथ उसने एक मानचित्रावली भी प्रकाशित की । अल-बरुनी, अल-मसूदी, इब्न-बतूता आदि अरब भूगोलवेताओं ने भी अनेक यात्राऐं कर क्षेत्रीय भूगोल के अन्तर्गत पर्यटन को बढावा दिया ।

[संपादित करें] भौगोलिक तत्वो का पर्यटन में महत्व

[संपादित करें] भौगोलिक दृश्य

नियाग्रा जल प्रपात जिसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखो पर्यटक यहां पहुचते हैं
नियाग्रा जल प्रपात जिसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखो पर्यटक यहां पहुचते हैं

इसका गहराई से अध्यन भौतिक भूगोल में किया जाता है | पर्यटन भूगोल में इसका अद्यन केवल उन छेत्रों के अध्यन के लिए किया जाता है जो छेत्र अपनी अलग स्थलाकृति विशेषता रखते है | यह विशेषता एक निर्जन और आबादी रहित पहाडी प्रदेशो के लिए भी हो सकती है या फिर स्वास्थयवर्धक जलवायु वाले पहाडी प्रदेशो के लिए भी, उदाहरण के लिए भारत का शिमला या माउंट आबु |
दूसरी तरफ नदी-घाटियां, सागर भूमि सूखे मरूस्थल, भौगोलिक कारको जैसे पानी, पवन, हिम, आदि द्वारा उत्पन्न अपरदित एवं निच्छेपित स्थलाकृतियां भी पर्यटको को अपनी और आ़कृषित करती है | संयुक्त राज्य अमेरिका और आस्ट्रेलिया के अनेक पर्यटन छेत्र इसका उदाहरण है

[संपादित करें] मौसमी कारण

मौसमी कारण जैसे तापमान, पवन, आर्द्रता, वर्षण, ऋतु पर्यटन से सीधे सम्बन्ध रखते हैं । पर्यटक कहीं घूमने से पहले उस स्थान की जलवायु के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं । हम जानते हैं कि मौसमी कारण मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते है । देखने में आया है कि कुछ खास वर्ग के पर्यटक जिनमे तनावग्रस्त कर्मचारी और वृद्ध पर्यटक अधिक होते है जलवायु परिवर्तक को स्वास्थ लाभ की दृष्टि से देखते है । चिकित्सक भी अपनी चिकित्सा पद्धति के दौरान मरीजो को अनेक बार अपनी हवा-पानी बदलने पर जोर देते है । चिकित्सक का तात्पर्य मरीज को मनोवैज्ञानिक एवं भौगोलिक रूप में स्वास्थ लाभ पहुँचाना होता हैं । इसे वर्तमान में स्वास्थ्य पर्यटन के रूप में जाना जाता है । दिसंबर-फरवरी के महिनो में जब अमेरिका और युरोप मे सर्दियां अधिक हो जाती है तो इन देशों के पर्यटक भारत के गोवा जैसे राज्य जहां सर्दी अपेक्षाकृत कम होती है, में आकर सागर किनारे रेत पर सूर्य स्नान करते हुए दिन बिताना अधिक उप्युक्त समझते हैं । दूसरी तरफ मई-जून के महिनों में जब भारत के सभी भागो में भीषण गर्मियां होती है तो पर्यटको का आना भी कम हो जाता है ।

[संपादित करें] पर्यावरणीय कारक

मुख्य लेख: पर्यावरण भूगोल
आस्ट्रेलिया के एक मार्ग पर  कंगारू के क्षेत्र को प्रदर्शित करता चिन्ह
आस्ट्रेलिया के एक मार्ग पर कंगारू के क्षेत्र को प्रदर्शित करता चिन्ह

पर्यावरण के अन्तर्गत जैविक तत्व भी पर्यटन पर प्रभाव डालते है । स्थानिय जैव संपदा आधारित विभिन्न्ता तथा पारिस्थितिक तंत्र पर्यटको को आकर्षित करती हैं । इसके अन्तर्गत स्थानिय पेड-पौधे एवं पशु-पक्षी महवपूर्ण स्थान रखते हैं । ऑस्ट्रेलिया मे पाया जाने वाला जन्तु कंगारू यहा एक प्रमुख स्थान रखता है । विश्व में कंगारू ही ऑस्ट्रेलिया की पहचान हैं । यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रिय चिन्ह मे इसे चित्रित किया जाता हैं । विश्व में अनेक देश अपने यहां के जंगली जानवरो के आवास को प्राथमिक स्तर पर रखती हैं । भारत के अनेक वन्य जीव संरक्षण परियोजनाएं इसका प्रमुख उदाहरण हैं । इसके अतिरिक्त भारत में अनेक राष्ट्रीय उद्यान है जो विश्व के पर्यटको को अपनी और आकृषित करते हैं ।

[संपादित करें] सांस्कृतिक कारण

विश्व में मानव समुहो और समुदाय में बटां हैं । प्रयेक मानव समुह के रिति-रिवाज और संस्कार अलग-अलग है । सभी अपने ढंग से अपने धर्मो, पंथो, त्योहारो, भाषा और पारिवारिक आचरणों का पालन करते हैं । इसी विविधता का अध्यन सांस्कृतिक भूगोल में किया जाता हैं । यह विविधता ही पर्यटको को आकर्षित करती हैं ।

  • शिक्षण हेतु पर्यटन
अफ्रीका के देश युगांडा में अपनी एक यात्रा के दौरान विलियम क्लिण्टन
अफ्रीका के देश युगांडा में अपनी एक यात्रा के दौरान विलियम क्लिण्टन

यह उन पर्यटको के लिए है जो पर्यटक दूसरी संस्कृति को जानने व समझने के इच्छुक होते है । ये पर्यटक शोध अथवा अनुसंधान के उद्देशय से पर्यटक की श्रेणी मे आते हैं । मुख्यत: ये छोटे-छोटे समुहो में विभिन्न प्रजतियों और जातियों का अध्यन करते हैं । यहां पर्यटक मानव के संदर्भ में स्थानिय रूप में जन्म-मृत्यु दर, स्वास्थ्य, आवास, धर्म, त्यौहार, रीति-रिवाजो, शिक्षा, भोजन, मानव बस्तियों की बनावट आदि सम्बन्धित आँकड़ो को एकत्रित करते है । विभिन्न स्कुलों, विश्वविद्यालयों एवं समाज सेवी संस्थाओं द्वारा इसी प्रकार की यात्राएं आयोजित करवाई जाती हैं ।

  • मनोरंजन हेतु पर्यटन
विदेशो में होली खेलते हुए भारतीय लोगो के साथ स्थानिय निवासी
विदेशो में होली खेलते हुए भारतीय लोगो के साथ स्थानिय निवासी

यह उन पर्यटको के लिए है जो पर्यटक दूसरी संस्कृति को जानने के साथ ही मनोरंजन की भी कामना करते हैं । उदाहरण के किए भारत में जहां यह विभिन्न्ता बहुत पाई जाती है । यहां मार्च के महिने में स्थानिय रूप में होली नामक त्योहार अति हर्षो उल्लास से मनाया जाता है । संयोग से इस समय यहां का तापमान भी अनुकूल होता है । इसी समय का अपयोग करते हुए हजारो की संख्या में विदेशी पर्यटक यहां पहुंच जाते हैं । वे भारतिय लोगो के साथ इस रंगो भरे त्योहार का आनन्द लेते है । इस प्रकार से वे यात्रा के साथ-साथ भारत के सांस्कृतिक रूप से भी परिचित होते हैं । यहां यह भी उल्लेख करना आवश्यक होगा कि स्थानिय शासन भी इस समय में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अनेक योजनाए क्रियान्वित करती हैं । नई दिल्ली में दिल्ली सरकार द्वारा लागु की गई अतिथि देवो भव: इसी प्रकार की एक सफल योजना है । भौगोलिक कारक भी पर्यटको के मनोरंजन के कारण बनते हैं । क्योंकि दिन पृथ्वी पर सबसे पहले पूर्व दिशा से ही निकलता हैं । इस लिए नए साल का आन्नद लेने के किए हजारो की संख्या में पर्यटक दुनिया के पूर्वी छोर पर चले जाते हैं । न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया में ३१ दिसम्बर को हजारो पर्यटक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं ।

सांबा परेड देखते हुए हुए पर्यटक
सांबा परेड देखते हुए हुए पर्यटक

दूसरी तरफ ब्राजील के सांबा परेड को देखने और उसकी मौज मस्ती में शामिल होने के किए हर साल लाखों पर्यटक ब्राजील पहुचते हैं । इसी प्रकार स्पेन का सांड युद्ध औए टमाटर युद्ध पर्यटको द्वारा बहुत पसंद किया जाता है । विश्व पर्यटको को आकर्षित करने के लिए अनेक देशो ने अपनी प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरो को संरक्षित करना प्रारम्भ कर दिया हैं ।

इस प्रकार की स्थानिय सांस्कृतिक गतिविधियां अपनी रोमांचक प्रकृति और विलगता के कारण विश्व भ‍र में पर्यटको के लिए आकर्षण का केन्द्र बन जाती हैं ।

  • मूल देश एवं अपने पूर्वजो के प्रति अपनापन

आज जो संसार हम देखते है वो बहुत बदला हुवा है । वर्तमान समय में हमें विभिन्न देशों के सामाज मे मिश्रित मानव समुहो के दर्शन होते हैं । अनेको साल पहते कुछ लोगो के समूह धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक कारणो से अपने मूल स्थान से स्थानान्तरित हो कर हजारो किलोमीटर दूर के स्थानो पर चले गये थे । वहां जाकर वे वही स्थायी रूप से बस गए और मूल स्थान से सम्पर्क समाप्त हो गए । उदाहरण के लिए अफ्रीका महाद्वीप से नीग्रोइड्स निवासियों को गुलाम बनाकर संयुक्त राज्य अमेरिका लाया गया । भारत से गयाना, मॉरीशस, दक्षिण अफ़्रीका, मलेशिया आदि स्थानो में लोग रोजगार की तलाश में गए । आज अनेको साल बाद उनकी पीढियाँ आर्थिक रूप मे सम्रद्ध होकर अपने मूल स्थान में घूमने आती हैं । ये प्रवासी अपने पूर्वजो की जन्म भूमी देखने आते हैं । भारत में तो ऐसे प्रवासियों का विशेष स्वागत किया जाता हैं ।

[संपादित करें] परिवहन व्यवस्था

एक सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था किसी भी पर्यटन छेत्र की रीढ कही जा सकती हैं | पर्यटक चाहता है कि उसका पर्यटन काल सभी प्रकार की मुसीबतो से मुक्त हो । पर्यटक अपने मूल स्थान से घूमने जा रहे स्थल पर आसानी से जा सकै और अदुपरान्त वापस अपने मूल स्थान पर आ सकै । कोई भी देश अपने पर्यटन स्थल को विकसित करने के बाद परिवहन की व्यवस्था पर अधिक बल देता है । यह व्यवस्था अन्तर्राष्ट्रीय और स्थानिय दोनो रूपो में होती है । परिवहन के प्रकार इस तरह हैं-

  1. सड़क मार्ग
  2. रेल मार्ग
  3. हवाई मार्ग
  4. जल मार्ग

अब तो अंतरिक्ष पर्यटन प्रारम्भ हो गया है जो उन्न्त तकनीको के साथ पूर्णत्या परिवहन व्यवस्था पर ही निर्भर हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के डेनिस टीटो सर्वप्रथम अंतरिक्ष पर्यटक बने । उन्होने २८ अप्रैल २००६ से ०६ मई २००६ के बीच अंतरिक्ष में रहकर यह् किर्तिमान स्थापित किया ।


[संपादित करें] पर्यटन में भौगोलिक मानचित्रावली का महत्व

मुख्य लेख: मानचित्र
अल-इदरीसी का ११५४ में बनाया विश्व मानचित्र, दक्षिण दिशा को उत्तर में दिखाया गया हैं
अल-इदरीसी का ११५४ में बनाया विश्व मानचित्र, दक्षिण दिशा को उत्तर में दिखाया गया हैं
यह "कोलम्बस मानचित्र" १४९० में बनाया गया था
यह "कोलम्बस मानचित्र" १४९० में बनाया गया था

एक सही भौगोलिक मानचित्रावली, किसी भी पर्यटक के लिए सर्वप्रथम और मुख्य साधन हैं | बहुत पहले से ही मानव ज्ञात पृथ्वी का लघु नमूना बनाता रहा है | इस समय मापनी एवं पेक्षेपों का विकास नही हुवा था | विद्वान अपने अनुमान से ही मानचित्र बनाते थे| अल-इदरीसी का बनाया मानचित्र इनमे प्रमुख हैं | आज के वर्तमान मानचित्रों में अक्षांश रेखाएं एवं देशान्तर रेखाएं दी हुई होती हैं जिनकी सहायता से किसी भी स्थल के लघु रूप का कागज पर स्तही निरिक्षण किया जा सकता है | ये प्राय मपानी पर आधारित होते हैं | आधुनिक मानचित्र अपग्रहों की सहायता से बनाएं जाते है जो बडी मापनी पर अत्यधिक अपयोगी होते है |

[संपादित करें] पर्यटन पुस्तिका

पर्यटन पुस्तिका, किसी भी पर्यटक के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है | मुख्यत इसमे पर्यटक के लिए दर्शनिय स्थल की चित्रों की सहायता से स्थल की इतिहासिक और भौगोलिक जानकारी को बताया जाता है | पर्यटन पुस्तिका, पर्यटक को किए घुमने की योजना बनाने में सहायता प्रदान करती हैं । पुस्तिका में स्थानिय रूप से घूमने योग्य स्थनो का विवरण दिया होता हैं । इसमें उस स्थान के वर्तमान जानकारी पर्यटक को दी जाती हैं । इसमें यह भी बताया जाता है कि वहां किस प्रकार जाया जा सकता है और कौनसा मौसम वहां जाने के अनुकूल होगा । पर्यटन पुस्तिका में स्थानिय ट्रेवल एजेंटो का पता दिया जाता है । सभी होटलों, कल्बों, सिनेमा घरों, बाजारों, मन्दिरों, सडकों, टेक्सी स्टेंण्डो, सरकारी कार्ययाकलयों का संक्षिप्त ब्योरा पर्यटन पुस्तिका में दिया होता हैं । पर्यटन पुस्तिका का प्रकाशन स्थानिय पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया जाता है | इसमें प्रमाणिक तथ्यों का समावेश किया जाता है |

[संपादित करें] स्थान निदेशक

विभिन्न स्थानो को निदेशक करते हुए अवस्थिति सूचक
विभिन्न स्थानो को निदेशक करते हुए अवस्थिति सूचक

किसी भी पर्यटक के लिए यह सबसे महवपूर्ण है कि वह अपने पूर्व निर्धारित स्थान पर आसानी से पहुंच सके । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए स्थानिय प्रशासन महत्वपूर्ण मार्गो एवं स्थानो पर स्थान निदेशक सूचको का निर्माण करता हैं । इस प्रकार के सूचक पर्यटको के साथ-साथ बाहरी प्रदेशो से आ रहे वाहन चालको के लिए भी लाभदायक होते हैं । इन सूचको में स्थानो के नाम के अलावा बाहरी आगन्तुको के विश्राम लिए सराएं, आरामगाहों, डाक बंगलो, अस्पताल, दूतावास, प्रमुख ईमारतों, हवाई अड्डो, रेलवे स्टेशनों, पुलिस स्टेशनों, पूजा स्थलो, आदि के संकेत दिए होते है ताकि पर्यटक आसानी से इन महत्वपूर्ण स्थानो पर जा सके ।

[संपादित करें] मापनी

पर्यटन पुस्तिका में छ्पे मानचित्र मापनी पर आधारित होते हैं | मापनी पर आधारित मानचित्र पर्यटक को दर्शन किए जा रहे स्थल का लघु रूप दर्शाते है | पर्यटक इसकी सहायता से बिना गाईड के भी अकेला अवलोकन कर सकता है | बड़े माप पर छोटे-छोटे भागो को दिखाया जाता है, उदाहरण के लिए अगर हम दिल्ली के चांदनी चौक को देखना चाहते है तो हमे बड़े माप पर बने मानचित्र की आवश्यकता होगी । इसी प्रकार बड़े भागो को छोटे माप पर दिखाया जाता है,उदाहरण के लिए हमे अगर संयुक्त राज्य अमेरिका का मानचित्र देखना हो तो हमे हमे छोटे माप पर बने मानचित्र की आवश्यकता होगी ।

[संपादित करें] दिक्सूचक

नौसंचालन दिक्सूचक का दृश्य
नौसंचालन दिक्सूचक का दृश्य

यह पर्यटक को दिशा सम्बन्धी सूचना प्रदान करता है | जागरूक और सजग पर्यटको के लिए दिक्सूचक बहुत आवश्यक यंत्र माना जाता हैं । गाईड भी किसी स्थान का अवलोकन कराते समय पर्यटको को दिशा सम्बन्धी जानकारी देना नही भूलते हैं । दिक्सूचक को मुख्यत यह दो प्रकार के पर्यटको के लिए अधिक उप्युक्त है -

  1. जो पर्यटक वेज्ञानिक पहलुओं का अधिक ध्यान रखते है | इस प्रकार के पर्यटक शोध एवं अनुसंधान के व्यक्ति होते हैं ।
  2. जो पर्यटक मनमौजी होते हैं | इस प्रकार के पर्यटक बिना किसी पूर्व योजना के घूमने निकल पडते हैं | इस प्रकार के पर्यटको को प्राय खोजकर्ता या रोमांच को पसन्द करने वालो की श्रेणी में रखा जाता है |

[संपादित करें] मानचित्रण प्रस्तुतिकरण

अंतराष्ट्रीय पर्यटन का २००५ में सकेन्द्रण
अंतराष्ट्रीय पर्यटन का २००५ में सकेन्द्रण

प्रचीन समय की तुलना में वर्तमान में मानचित्रण प्रस्तुतिकरण में क्रान्तिकारी बदलाव हुए हैं । आज के मानचित्र उनन्त भौगोलिक तकनीको पर आधारित हैं । उपग्रहो के माध्यम से पृथ्वी के त्रिविम आयामी मानचित्रों का निर्माण किया जाता हैं । तकनीको के द्वारा ही आकाश से तस्वीरें लेकर संसार के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे भाग का सटीक मानचित्र तैय्यार कर दिया जाता हैं । तैय्यार मानचित्र पर सांख्यिकीय आँकड़ो का प्रदर्शन भी उनन्त भौगोलिक तकनीको द्वारा कर दिया जाता हैं | ये मानचित्र पर्यटक आसानी से अपनी जेब मे रख सकता है । इन मानचित्रों में रुढ़ चिन्ह दिये होते है जिस कारण इन्हे समझना आसान होता है ।
प्रमुख प्रकार के मानचित्र जो पर्यटन उद्योग में योगदान देते है इस प्रकार से हैं-

  1. भूवैज्ञानिक मानचित्र
  2. स्थलाकृतिक मानचित्र
  3. मौसम मानचित्र
  4. ऐतिहासिक मानचित्र
  5. धार्मिक मानचित्र

[संपादित करें] सांख्यिकीय आँकड़ो का निरूपण

२००१ में पर्यटको द्वारा संसार के सर्वाधिक घूमे गए देश
२००१ में पर्यटको द्वारा संसार के सर्वाधिक घूमे गए देश
चक्र आरेख का नमूना
चक्र आरेख का नमूना

भूगोल में सांख्यिकीय आँकड़ो की सहायता से विभिन्न आरेख बनाए जाते हैं | इसके अन्तर्गत अनेक आरेखों द्वारा पर्यटन के भिन्न-भिन्न पहलुओं का अवलोकन किया जाता है | ये प्रस्तुत आरेख पर्यटन के अनेक पहलुओं का अध्यन करने में सहायक सिद्घ होते हैं | इनके प्रमुख प्रकार है -

  • एकविम आरेख
  1. रेखा आरेख
  2. दण्ड आरेख
  3. पिरैमिड आरेख
  4. जल बजट आरेख
  5. वर्षा परिक्षेपण आरेख
  • द्विविम आरेख
  1. ईकाई वर्ग आरेख
  2. वर्गाकार ब्लॉक आरेख
  3. आयताकार आरेख
  4. चक्र आरेख
  5. वलय आरेख
  • त्रिविम आरेख
  1. गोलिय आरेख
  2. घनारेख
  3. ब्लॉक पुंज आरेख

[संपादित करें] पर्यटन के अवरोधी भौगोलिक कारण

यह सही है कि पर्यटन को बड़ाने और विकसित करने में विभिन्न भौगोलिक तत्वों का बहुत अधिक योगदान होता है । दूसरी तरफ यदि कुछ अन्य भौगोलिक विनाशकारी घटनाओं के कारण पर्यटन के उद्योग को धक्का भी पहुंचता है । जो पर्यटन उद्योग को किसी खास स्थान पर कुछ समय के लिए पूरी तरह बर्बाद कर देती हैं । ये भौगोलिक घटनाएं इस प्रकार से हैं -

[संपादित करें] यह भी देखें

[संपादित करें] चित्र दीर्घा

[संपादित करें] भौतिक भूगोल के कारक : आप देखना चाहेंगे

[संपादित करें] मानव भूगोल के कारक : आप समझना चाहेंगे

[संपादित करें] संदर्भ

  1. Raise, F : The History of Maps, General Cartography, op,cit,p.8
  2. Strabo: Book I, English Translation by H.L. Jones, Harward University press, 1927, pp. 1-5

[संपादित करें] बाहरी कडियां

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