ब्रह्मसूत्र
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ब्रहमसूत्र, हिन्दुओं के छः दर्शनों में से एक है। इसके रचयिता बादरायण हैं। इसे वेदान्त सूत्र, उत्तर-मीमांसा सूत्र, शारीरिक सूत्र और भिक्षु सूत्र आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस पर अनेक भाष्य भी लिखे गये हैं।
ब्रह्मसूत्र में चार अध्याय हैं जिनके नाम हैं - समन्वय, अविरोध, साधन एवं फल। प्रत्येक अध्याय के चार पाद हैं। कुल मिलाकर इसमें ५५५ सूत्र हैं।
वेदान्त के तीन मुख्य स्तम्भ माने जाते हैं - उपनिषद्, भगवदगीता एवं ब्रह्मसूत्र। इन तीनों को प्रस्थान त्रयी कहा जाता है। इसमें उपनिषदों को श्रुति प्रस्थान, गीता को स्मृति प्रस्थान और ब्रह्मसूत्रों को न्याय प्रस्थान कहते हैं। ब्रह्म सूत्रों को न्याय प्रस्थान कहने का अर्थ है कि ये वेदान्त को पूर्णतः तर्कपूर्ण ढंग सेप्रस्तुत करता है। ( न्याय = तर्क)
[संपादित करें] वाह्य सूत्र
- Brahma Sutra Bhashya of Adi Shankaracharya - Translated by George Thibaut
- Sri Bhashya - Ramanujacharya's commentary on Brahma Sutras
- The Internet Sacred Texts Archive: Read the complete eText of the Vedanta-Sutras -- with the commentary of Ramanuja Translated by George Thibaut Sacred Books of The East Vol. 48