वित्तीय संस्थान
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वित्तीय संस्थान बैंक । बैंकिंग , इंश्योरैंस, भारतीय म्यूचुअल फंड, शेयर बाज़ार, ग़ृह ऋण, दूसरे ऋण, क्रेडिट कार्ड । क्रेडिट कार्ड्ज़ के क्षेत्रो मे काम करते है। किसी भी देश की प्रगति मे वित्तीय संस्थानोँ की अहम भूमिका होती है। वित्तीय संस्थानोँ का मुख्य काम देश मे मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करना होता है।
उद्योग धन्दोँ को चलाने मे पूंजी की ज़रूरत होती है। ये उन्है वित्तीय संस्थान प्रदान करते है। स्वस्थ्य उद्योग जंता को रोज़्गार मुहैया कराते है। वित्तीय संस्थानोँ की मदद से आम लोग उद्योगो मे अपनी पूंजी लगा के एक तरफ मुनाफा कमाते है तो दूसरी तरफ देश के विकास मे योगदान देते है।
ये संस्थान लोगो को उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये तरह तरह के ऋण देते है। जैसे घर खरीदने के लिये ग़ृह ऋण, उच्च शीक्षा के लिये शीक्षा ऋण, कार और मोटरसाइकल के लिये ऑटोमोबाइल ऋण और दूसरी ज़रूरतोँ के लिये परसनल ऋण। बैंकोँ मे लोग बचत खाते खोल के अपना पैसा जमा करते है। इसके अलावा लोग इंश्योरैंस या बीमा मे भी निवेश करते है। शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड मे पूंजी निवेश मे भी आजकल वित्तीय संस्थान लोगो के लिये शेयर दलाल की भूमिका अदा करते है।
लोगो से इक्कट्ठा किया हुआ पैसा उद्योगो और देश के विकास मे लगाया जाता है। वित्तीय संस्थान न सिर्फ निजी कम्पनियोँ को बल्कि राज्यो और केन्द्र सरकार को भी तरक्की के कामो के लिये पूंजी मुहैया कराते है।
[संपादित करें] भारत के प्रमुख वित्तीय संस्थान
पिछ्ले वर्षो मे भारत मे वित्तीय संस्थानो ने विकास मे बडी भूमिका निभायी है। भारत के प्रमुख वित्तीय संस्थान निम्न है:
- भारतीय स्टेट बैंक- ये भारत का सबसे बडा बैंक है
- जीवन बीमा निगम
- यू टी आई
- आइसीआइसीआइ बैंक
- आइसीआइसीआइ डैरेक्ट
- ऐच डी एफ सी