राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन है जिसके सिद्धांत हिंदुत्व मे निहित और आधारित हैं। इसकी शुरुआत 1925 में डा. केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी । बीबीसी के अनुसार, संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है. 1925 के बाद से धीरे धीरे इस संस्थान का राजनैतिक महत्व बढता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनैतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है जो भारत के केन्द्रीय सत्ता पर अन्तत: सन 2000 में काबिज हुई।
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[बदलें] संघ परिवार की संरचनात्मक व्यवस्था
संघ में संगठनात्मक रूप से सबसे उपर सरसंघ चालक का स्थान होता है जो पूरे संघ का दिशा-निर्देशन करता है। सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होता है। हर सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है। संघ के वर्तमान सरसंघचालक श्री के सी सुदर्शन हैं। संघ के ज्यादातर कार्यों का निष्पादन शाखाओं द्वारा होता है, जो सार्वजनिक स्थानों पर सुबह या शाम के समय एक से दो घंटे के लिये स्वयंसेवकों का जमावड़ा होता है। वर्तमान में पूरे भारत में संघ की लगभग पच्चीस हजार से ज्यादा शाखाएँ लगती हैं। ये शाखाएँ संघ की बुनियाद होती है। इन शाखाओं में आम तौर पर शाखा की गतिविधियों में खेल, योग वंदना और भारत एवं विश्व की साँस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक शामिल होता है।
[बदलें] आलोचनाएँ
1948 में नाथूराम गोडसे जो एक दक्षिणपंथी हिंदू द्वारा महात्मा गाँधी की मुस्लिम तुष्टीकरण से क्षुब्ध होकर उनकी हत्या करने के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। गोडसे संघ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक भूतपूर्व स्वयंसेवक था । बाद में एक जाँच समीति की जाँच के बाद संघ को इस आरोप से बरी कर दिया गया और प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया।
संघ के आलोचकों के द्वारा संघ को एक अतिवादी दक्षिणपंथी संगठन बताया जाता रहा है जिसका दर्शन हिंदुत्व और फ़ासीवादी संगठन के तौर पर संघ की आलोचना की जाती रही है। जबकि संघ के समर्थकों की मुख्य मांग रही है कि सरकार तुष्टीकरण जैसे विवादास्पद शाहबानो प्रकरण हज यात्रा में दी जानेवाली सब्सीडी इत्यादि की नीति समाप्त करे। आलोचकों का कहना है कि इससे मुस्लिम विरोधी घृणा का माहौल तैयार होता है और मूल मुद्दों की अनदेखी होती है।
घोषित तौर पर संघ यह कहता रहे है कि ऐतिहासिक रूप से हिंदू स्वदेश में ही हमेशा से उपेक्षित और उत्पीड़ित रहे हैं और संघ सिर्फ़ हिंदुओं के जायज अधिकारों एवं ऐतिहासिक उत्पीड़नों की बात करता है। आलोचकों का कहना है कि ऐसे विचारों एवं प्रचारों से भारत का धर्मनिरपेक्ष बुनियाद कमज़ोर होता है। इस क्रम में सबसे विवादास्पद और चर्चित मामला अयोध्या विवाद रहा है जिसमें बाबर द्वारा सोलहवीं सदी में निर्मित एक मस्ज़िद बाबरी मस्ज़िद के स्थान पर राम मंदिर का निर्माण करना है। अधिकांश हिंदुओं का ऐसा मानना है कि यहीं भगवान राम की पैदाईश हुई थी।
[बदलें] संघ की उपलब्धियाँ
संघ की उपस्थिती भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत 1925 से ही होती है। उदाहरण के तौर पर 1962 के भारत चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुये कि उन्होंने संघ की एक टुकड़ी को गणतंत्र दिवस के 1963 के परेड में सम्मिलित होने का न्यौता दिया। सिर्फ़ दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्व्यंसेवक पूरे परिधान में वहाँ उपस्थित हो गये।
वर्तमान समय में संघ के दर्शन का पालन करने वाले लोगों ने देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँचने में सफल रहे हैं। ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में उपराष्ट्रप्ति पद पर भैरोसिंह शेखावत, प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी जैसे लोग शामिल हैं।
[बदलें] सहयोगी सँस्थाएँ
- सेवा भारती
- विद्या-भारती
- स्वदेशी जागरण मंच
- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
- हिंदू स्वयंसेवक संघ
- विश्व हिंदू परिषद
यह भी देखें:
- हिंदुत्व
- विश्व हिंदू परिषद
- बजरंग दल
- भारतीय जनता पार्टी
- राष्ट्रवाद