झाँसी
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झाँसी | |
प्रदेश - जिलाएँ |
उत्तर प्रदेश - झॉसी |
स्थान | 25.32° N 78.30° E |
क्षेत्रफल - समुद्र तल से ऊँचाई |
5,024 स.की.मी
|
समय मण्डल | IST (UTC+5:30) |
जनसंख्या (2001) - घनत्व |
17 लाख - 348/स.कि.मी. |
संकेतक - डाक - दूरभाष - वाहन |
- 284 00x - +91 (0) 510 - UP-93 |
वेबसाइट: jhansi.nic.in |
झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। झॉसी शहर् एक् प्रमुख् रैल् ऐवम् सड़्क् केन्द्र है। यह् शहर् झॉसी जिले ऐवम् झॉसी विभाग् का प्रशासनिक् केन्द्र भी है। झॉसी शहर् पत्थर् निर्मित् किले के चारो तरफ़् फ़ैला हुआ है, यह् किला शहर् के मध्य सितिथ् एक् पहाड़ि पर् निर्मित् है।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] इतिहास्
९ वी शताब्दि मै, झॉसी का राज्य खजुराहो के राजपूत् चन्देला वन्श् के राजाऔ के अन्त्र्गत् आया। क्रत्रिम् जलाशय् ऐवम् पहाड़ि छेत्र् के वास्तुशिल्पिय खन्ड्हर् शायद् इसी काल् के है। चन्देला वन्श् के बाद् उन्के सेव्क् खन्गार् ने इस् छेत्र् का कार्यभार् सम्भाला । समीप् सितिथ् "करार्" का किला इसी वन्श् के राजाऔ ने बन्वाया था ।
१४ वी शताब्दि के निकट् बुन्देला विन्ध्याच्ल् छेत्र् से नीचे मैदानी छेत्र् मे आना प्रारम्भ् किया और् धीरे - धीरे सारे मैदानी छेत्र् मै फ़ैल् गये जिसे आज् बुन्देलखन्ड् के नाम् से जाना जाता है। झॉसी किले का निर्माण् ओर्छा के राजा बीर् सिह् देव द्वारा कर्वाया गया था । किव्दन्ति है कि ओर्छा के राजा बीर् सिह् देव् ने दूर् से पहाड़ि पर् छाया देखी जिसे बुन्देली भाषा मे "झॉई सी" बोला गया, इसी शब्द् के अप्भ्रन्श् से शहर् का नाम् पडा ।
१७ वी शताब्दि मै मुगल् कालीन् साम्राज्य के राजाऔ के बुन्देला छेत्र् मे लगातार् आक्र्मण् के कारण् बुन्देला राजा छ्त्रसाल् ने सन् १७३२ मे मराठा साम्राज्य से मदद् मान्गी । मराठा मदद् के लिये आगे आये । सन् १७३४ मे राजा छ्त्रसाल् की म्रत्यु के बाद् बुन्देला छेत्र् का एक् तिहायी हिस्सा मराठो को दे दिया गया । मराठो ने शहर् का विकास् किया और् इस्के लिये ओरछा से लोगो को ला कर् बसाया गया ।
सन् १८०६ मे, मराठा शक्ति कमजोर् पड्ने के बाद् ब्रितानी राज् और् मराठा पेशवा के बीच् समझोता हुआ जिसमे मराठो ने ब्रितानी साम्राज्य का प्रभुत्व स्वीकार् कर् लिया । सन् १८१७ मे पेशवा ने पूने मे बुन्देल्खन्ड् छेत्र् के सारे अधिकार् ब्रितानी ईस्ट् ईडिया कम्पनी को दे दिये। सन् १८५७ मे झॉसी के राजा गन्गाधर् राव् की म्रत्यु हो गयी। तत्कालीन् गवेर्नल् जनरल् ने झॉसी को पूरी तरह् से अपने अधिकार् मे ले लिया । राजा गन्गाधर् राव कि विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने ईसका विरोध किया और् कहा कि राजा गन्गाधर् राव् के दत्तक् पुत्र को राज्य का उत्राधिकारि माना जाये, परन्तु ब्रितानी राज् ने मानने से इन्कार् कर् दिया । ईन्ही परिस्तिथियो के चलते झॉसी मे सन् १८५७ का सन्ग्राम् हुआ। जो कि भारतीय स्वतन्त्र्ता सन्ग्राम् के लिये नीव् का पत्थर् साबित् हुआ। जून् १८५७ मे १२वी पैदल् सेना के सैनिको ने झॉसी के किले पर् कब्ज़ा कर् लिया और् किले मे मौजूद् ब्रितानी अफ़सरो को मार् दिया गया । ब्रितानी राज् से लडायी के दोरान् रानी लक्ष्मीबाई ने स्वयम् सेना का सन्चालान् किया। नवम्बर् १८५८ मे झॉसी को फ़िर् से ब्रितानी राज् मे मिला लिया गया और् झॉसी के अधिकार् ग्वालियर् के राजा को दे दिये गये। सन् १८८६ मे झॉसी को यूनाइटिड् प्रोविन्स् मे जोडा गया जो स्वतन्त्र्ता प्राप्ति के बाद् उत्तर् प्रदेश् बना। झूकी मूल
[बदलें] शिक्षा
झॉसी शहर् बुन्देलखन्ड् क्षेत्र मे अध्यन् का एक् प्रमुख् केन्द्र है। विध्यालय् एवम् अध्यन् केन्द्र सरकार् तथा निजी क्षेत्र द्वारा चलाये जाते है। बुन्देलखन्ड् विश्वविध्यालय जिसकी स्थापना सन् १९७५ मे की गयी थी, विज्ञान,कला एवम् व्यवसायिक् शिक्षा की उपाधि देता है। झॉसी शहर् और् आसपास् के अधिकतर् विध्यालय बुन्देलखन्ड् विश्वविध्यालय से सम्बद्ध् है। बुन्देलखन्ड् अभियान्त्रिकी एवम् तकनिकी सन्स्थान् उत्तर् प्रदेश् सरकार् द्वारा स्थापित् तकनिकी सन्स्थान् है जो उत्तर् प्रदेश् तकनिकी विश्वविध्यालय से सम्बद्ध् है। रानी लक्ष्मीबाई चिकित्सा सन्स्थान् चिकित्सा विज्ञान मे उपाधि प्रदान् करता है। झॉसी मे आयुर्वेदिक अध्यन् सन्स्थान् भी है जो कि प्राचीन् भारतीय चिकित्सा विज्ञान "आयुर्वेद्" की शिक्षा देता है। उच्च् शिक्षा के अलावा झॉसी मे अनेक् प्राथमिक् विध्यालय भी है। ये विध्यालय सरकार् तथा निजी क्षेत्र द्वारा चलाये जाते है। विध्यालयो मे शिक्षा का माध्यम् हिन्दी एवम् अन्ग्रेज़ी भाषा है। विध्यालय उत्तर् प्रदेश् माध्यमिक शिक्षा परिषद्, केन्द्रिय माध्यमिक शिक्षा परिषद् एवम् से सम्बद्ध् है। झॉसी का पुरुष् साक्षरता अनुपात ८०% महिला साक्षरता अनुपात ५१% है, तथा कुल् साक्षरता अनुपात ६६% है।
[बदलें] पयर्टन्
[बदलें] दर्शनिय स्थल्
- झॉसी का किला : सन् १६१३ मे निर्मित् इस् किले का निर्माण् राजा बीर् सिन्ह् द्वारा करवाया गया था। यह् किला शहर् के बिचोबीच् एक् पहाडि पर् सितिथ् है।
- रानी महल : झॉसी के किले से कुछ् दूरी पर् सितिथ् रानी महल, रानी लक्ष्मीबाई का महल् था। इसका निर्माण् १७ वी शताब्दि मे रघुनाथ् राव् दिव्तीय ने करवाया था। आजकल् इस् महल् मे एक् सन्ग्रहालय है।
- उत्तर्प्रदेश् सरकारी सन्ग्रहालय
- महालक्ष्मी मन्दिर्
- गणेश् मन्दिर्
[बदलें] निकटम् दर्शनिय स्थल्
- सुकमा-डुकमा बान्ध् : बेतवा नदी पर् बना हुआ यह् अत्यन्त् सुन्दर् बान्ध् है। इस् बान्ध् कि झॉसी शहर् से दूरि करीब् ४५ कि मी है तथा यह् बबीना शहर् के पास् है।
- देवगढ् : झॉसी शहर् से १२३ कि मी दूर् यह् शहर् ललितपुर् के पास् है। यहां गुप्ता वन्श् के समय् के विश्नु एवम् जैन् मन्दिर् देखे जा सकते हैं।
- ओरछा : झॉसी शहर् से १८ कि मी दूर् यह् स्थान् अत्यन्त् सुन्दर् मन्दिरो, महलों एवम् किलो के लिये जाना जाता है।
- खजुराहो : झॉसी शहर् से १७८ कि मी दूर् यह् स्थान् १० वी एवम् १२ वी शताब्दि में चन्देला वन्श् के राजाऔ द्वारा बनवाये गये अपने श्रृंगारात्मक मन्दिरो के लिये प्रसिद्ध् है।
- दतिया : झॉसी शहर् से २८ कि मी दूर् यह् राजा बीर् सिह्ं द्वारा बनवाये गये सात् मन्जिला महल् एवम् श्री पीतम्बरा देवी के मन्दिर् के लिये प्रसिध् है।
- शिवपुरी : झॉसी से १०१ कि मी दूर् यह् शहर् ग्वालियर् के सिन्धिया राजाऔ की ग्रीष्म्कालीन् राजधानी हुआ करता था। यह् शहर् सिन्धिया द्वारा बनवाये गये संगमरमर के स्मारक के लिये भी प्रसिद्ध् है। यहां का माधव् राष्ट्रिय उध्यान् वन्य जीवन् से परिपूरण् है।
[बदलें] झॉसी से संबद्ध कुछ् प्रतिष्ठित व्यक्तित्व
- रानी लक्ष्मीबाई
- चन्द्रशेखर् आज़ाद्
- मैथिलीशरण गुप्त
- ध्यानचन्द्
- डा० व्रन्दावन् लाल् वर्मा
- महा कवि केशवदास्
- सुबोध् मुखर्जी
[बदलें] बाहरी कड़ियां
- झॉसी जिला अधिकारिक् वेब् साईट्
- झॉसी नगर् निगम् अधिकारिक् वेब् साईट्
- उत्तर् प्रदेश् पयर्टन् अधिकारिक् वेब् साईट्
- मध्य प्रदेश् पयर्टन् अधिकारिक् वेब् साईट्
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