रागदरबारी
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रागदरबारी | |
रागदरबारी | |
रचयिता: | श्रीलाल शुक्ल |
प्रकाशन तिथि: | 1968 |
भाषा: | हिन्दी |
देश: | भारत |
विषय: | व्यंग्य |
मीडिया प्रकार: | प्रिंट |
पृष्ठ: | 330 |
ISBN: | 81-267-0478-0 |
रागदरबारी विख्यात लेखक श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राग दरबारी में श्रीलाल शुक्ल जी ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत- दर- परत उघाड़ कर रख दिया है। राग दरबारी की कथा भूमि एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे गाँव शिवपालगंज की है जहाँ की जिन्दगी प्रगति और विकास के समस्त नारों के बावजूद, निहित स्वार्थों और अनेक अवांछनीय तत्वों के आघातों के सामने घिसट रही है। शिवपालगंज की पंचायत, कॉलेज की प्रबन्ध समिति और कोआपरेटिव सोसाइटी के सूत्रधार वैद्यजी साक्षात वह राजनीतिक संस्कृति हैं जो प्रजातन्त्र और लोकहित के नाम पर हमारे चारों ओर फल फूल रही हैं।
[बदलें] टीका-टिप्पणी
[बदलें] संदर्भ
[बदलें] बाहरी कडियाँ
श्रीलाल शुक्ल का प्रकाशित पुस्तकें | ||||
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उपन्यास: | सूनी घाटी का सूरज · अज्ञातवास · रागदरबारी · आदमी का ज़हर · सीमाएँ टूटती हैं · मकान · पहला पड़ाव · विश्रामपुर का सन्त · अंगद का पाँव · यहाँ से वहाँ · उमरावनगर में कुछ दिन | |||
कहानी संग्रह: | यह घर मेरा नहीं है · सुरक्षा तथा अन्य कहानियां · इस उम्र में | |||
व्यंग्य संग्रह: | अंगद का पांव · यहां से वहां · मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनायें · उमरावनगर में कुछ दिन · कुछ जमीन पर कुछ हवा में · आओ बैठ लें कुछ देर | |||
आलोचना: | अज्ञेय: कुछ राग और कुछ रंग | |||
विनिबन्ध: | भगवती चरण वर्मा · अम्रतलाल नागर | |||
बाल साहित्य: | बढबर सिंह और उसके साथी |