श्रीलाल शुक्ल
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
श्रीलाल शुक्ल (31 दिसंबर, 1925) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार है। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात हैं।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] जीवन
श्रीलाल शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश में सन् 1925 में हुआ था तथा उनकी प्रारम्भिक और उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ।
[बदलें] रचनायें
उपन्यास: |
सूनी घाटी का सूरज · अज्ञातवास · रागदरबारी · आदमी का ज़हर · सीमाएँ टूटती हैं |
कहानी संग्रह: | यह घर मेरा नहीं है · सुरक्षा तथा अन्य कहानियां · इस उम्र में |
व्यंग्य संग्रह: | अंगद का पांव · यहां से वहां · मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनायें · उमरावनगर में कुछ दिन · कुछ जमीन पर कुछ हवा में · आओ बैठ लें कुछ देर |
आलोचना: | अज्ञेय: कुछ राग और कुछ रंग |
विनिबन्ध: | भगवती चरण वर्मा · अमृतलाल नागर |
बाल साहित्य: | बढबर सिंह और उसके साथी |
[बदलें] टीका-टिप्पणी
[बदलें] संदर्भ
[बदलें] बाहरी कडियाँ
- ...और `इस उम्र में' भी, लेखक प्रयाग शुक्ल, पत्रिका: वागर्थ
- श्रीलाल शुक्ल जी एक मुलाकात, ब्लाग फुरसतिया पर
- श्रीलाल शुक्ल-विरल सहजता के मालिक, ब्लाग फुरसतिया पर
[बदलें] यह भी देखें