शृंखला की कड़ियां
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शृंखला की कड़ियाँ | |
मुखपृष्ठ | |
रचयिता: | महादेवी वर्मा |
प्रकाशक: | राधाकृष्ण प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि: | 1942 |
भाषा: | हिंदी |
देश: | भारत |
विषय: | गद्य साहित्य |
शैली: | निबंध |
मीडिया प्रकार: | लेख संग्रह |
ISBN: | HB-01889 |
शृंखला की कड़ियाँ महादेवी वर्मा के नारी विषयक निबंधों का संग्रह है। पुस्तक से कुछ पंक्तियाँ- ‘‘भारतीय नारी जिस दिन अपने सम्पूर्ण प्राण-आवेग से जाग सके, उस दिन उसकी गति रोकना किसी के लिए सम्भव नहीं। उसके अधिकारों के सम्बन्ध में यह सत्य है कि वे भिक्षावृत्ति से न मिले हैं, न मिलेंगे, क्योंकि उनकी स्थिति आदान-प्रदान योग्य वस्तुओं से भिन्न है। समाज में व्यक्ति का सहयोग और विकास की दिशा में उसका उपयोग ही उसके अधिकार निश्चित करता रहता है।
किन्तु अधिकार के इच्छुक व्यक्ति को अधिकारी भी होना चाहिए। सामान्यतः भारतीय नारी में इसी विशेषता अभाव मिलेगा। कहीं उसमें साधारण दयनीयता और कहीं असाधारण विद्रोह है, परंतु संतुलन से उसका जीवन परिचित नहीं।...
श्रृंखला की कड़ियाँ महादेवी वर्मा के चुने हुए निबंधों का मह्त्वपूर्ण संकलन है। प्रस्तुत संग्रह में ऐसे निबंध संकलिक किये गये हैं जिनमें भारतीय नारी की विषम परिस्थिति को अनेक दृष्टि-बिन्दुओं से देखने का प्रयास किया गया है।
सोहनी नीरा कुकरेजा द्वारा इसका अंग्रेज़ी अनुवाद लिंक्स इन द चेन नाम से किया गया है।