महाभारत
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महाभारत हा हिंदू धर्मातील एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
[संपादन] महाभारत:"श्री.यार्दींच्या महाभारतासंबंधित संशोधनातले काही ठळक मुद्दे "
पुणे शहरातल्या प्रसिद्ध "भांडारकर प्राच्य विद्या संशोधन मांदिर"ने काही वर्षांपूर्वी काही विद्वानांच्या खूप संशोधनानंतर महाभारताची एक आवृत्ति प्रसिद्ध केली. श्री. एम. आर. यार्दी ह्या प्रथितयश संशोधकांचा महाभारतासंबंधित एक इंग्रजी ग्रंथही त्या संस्थेने प्रकाशित केला. (रामायण आणि गीता ह्यांसंबंधीसुद्धा श्री.यार्दींनी ग्रंथ लिहिले आहेत.) श्री.यार्दींच्या महाभारतासंबंधित संशोधनातले काही ठळक मुद्दे असे:
सुमारे ३,००० वर्षांपूर्वी उत्तर भारतात जे एक मोठे युद्ध घडले त्याचे त्या युद्धानंतर लवकरच व्यासऋषींनी "जय" नावाच्या ग्रंथात वर्णन केले. व्यासऋषींच्या पश्चात सुमारे ५० वर्षांनंतर वैशंपायनऋषींनी "जय"मधले त्या युद्धाचे वर्णन स्वतःची भर घालून "भारत" नावाच्या एका ग्रंथात सादर केले. सुमारे ५०० वर्षांनांतर सुत आणि सौति ह्या पिता-पुत्रांनी "भारता"त भर घालून "महाभारत" तयार केले. त्यानंतर सुमारे २५० वर्षांनी कोणी "हरिवंश"काराने आणि मग १०० वर्षांनी कोणी "पर्वसंग्रह"काराने महाभारतात आणखी भरी घातल्या.
"पर्वसंग्रह"कारर्निर्मित महाभारतात ८१,६७० श्लोक आहेत. त्यांपैकी मूळच्या "जय"मधले श्लोक सुमारे ८,८००; वैशंपायनऋषींनी भर घातलेले सुमारे १२,३६२; सुत आणि सौति पिता-पुत्रांनी प्रत्येकी भर घातलेले १७,२८४ आणि २६,७२८; "हरिवंश"काराने समाविष्ट केलेले ९,०५३; "पर्वसंग्रह"काराने समाविष्ट केलेले १,३६९; आणि "हरिवंश"कारानेच श्रीकृष्णचरित्र कथन करण्याकरता स्वतंत्रपणे घातलेले "हरिवंशा"चे ६,०७४ श्लोक.
महाभारतात गीतेचा अंतर्भाव प्रथम सौतींनी केला. "जय"मधे पहिल्यांदा वर्णिलेले युद्ध घडले त्या काळी लोक श्रीकृष्ण देवाचा अवतार न मानता अर्जुन-भीष्मादींप्रमाणेच एक व्यक्ती मानत असत. श्रीकृष्णही स्वतःला देवाचा अवतार न मानता इतरांप्रमाणे शिव ह्या तत्कालीन दैवताची पूजा करत असत. सौति जन्मले त्या आधीच्या थोड्याश्या काळात श्रीकृष्ण हे विष्णूचा काहीसा अवतार असल्याची कल्पना प्रचारात आली होती. श्रीकृष्णाच्या गोकुळातल्या बाललीला आणि गोपींबरोबरची रासक्रीडा इत्यादी कथा "हरिवंश"काराने "हरिवंशा"त प्रथम अंतर्भूत केल्या. (राधेचा उल्लेख महाभारतात किंवा महाभारताला जोडलेल्या "हरिवंशा"तही नाही; तिचा उल्लेख लोककथांमधे पहिल्यांदा सुमारे इसवी सन ९०० च्या सुमाराला झाला.)
वेदांत व सांख्य तत्वज्ञान, आणि यॊग व भक्ती साधने ह्यांचा समन्वय घालून गीता रचणार्या सौतींची बौद्धिक झेप असामान्य निःसंशय होती.
पर्व क्र. | पर्वाचे नाव | उप-पर्व | संक्षिप्त ओळख |
१ | आदि पर्व | १-१९ | ओळख, राजपुत्रांचा जन्म व शिक्षण |
२ | सभा पर्व | २०-२८ | राजसभा, द्युतक्रिडा व पांडव वनवासाला जातात. |
३ | अरण्यक पर्व | २९-४४ | पांडवांचा बारा वर्षांचा वनवास |
४ | विराट पर्व | ४५-४८ | अज्ञातवासाचे विराट नगरीतील वनवासाचे शेवटचे एक वर्ष |
५ | उद्योग पर्व | ४९-५९ | युध्दाची तयारी |
६ | भीष्म पर्व | ६०-६४ | महायुध्दाचा पहिला भाग म्हणजेच भीष्म कौरवांचे सेनापती असतानाचे पहिले दहा दिवस |
७ | द्रोण पर्व | ६५-७२ | युध्दाचा पुढील भाग जेव्हा द्रोण हे कौरवांचे सेनापती होते |
८ | कर्ण पर्व | ७३ | कर्ण कौरवांचा सेनापती असतानाचे युध्दाचे वर्णन |
९ | शल्य पर्व | ७४-७७ | युध्दाचा शेवटचा भाग जेव्हा शल्य कौरवांचा सेनापती होते |
१० | सौप्तिक पर्व | ७८-८० | अश्वत्थामाने रात्रीच्या अंधारात झोपलेल्या पांडव सेनेवर केलेले आक्रमण |
११ | स्त्री पर्व | ८१-८५ | गांधारी व इतर स्त्रियांनी मृतांवर केलेला शोक |
१२ | शांती पर्व | ८६-८८ | युधिष्ठिराचा राज्याभिषेक व भीष्मांचा युधिष्ठिराला उपदेश |
१३ | अनुशासन-पर्व | ८९-९० | भीष्मांचा युधिष्ठिराला अखेरचा उपदेश |
१४ | अश्वमेधिका पर्व | ९१-९२ | युधिष्ठिराने केलेला अश्वमेध यज्ञ |
१५ | आश्रमवासिका पर्व | ९३-९५ | धृतराष्ट्र, गांधारी, विदुर व कुंती यांचे वनाकडे प्रस्थान व वणव्यात मृत्यु |
१६ | मौसल पर्व | ९६ | मुसळाचा शस्त्राप्रमाणे वापर करुन यादवांचे झालेले गृहयुध्द (यादवी) |
१७ | महाप्रस्थानिका पर्व | ९७ | पांडवांच्या स्वर्गारोहणाचा सुरुवातीचा भाग |
१८ | स्वर्गारोहण पर्व | ९८ | युधिष्ठिराचा सदेह स्वर्गात प्रवेश |
खिला | हरिवंश पर्व | ९९-१०० | श्रीकृष्णाचे चरित्र |
[संपादन] महाभारतामधील व्यक्तीरेखा
मेनका विश्वामित्र ऋषि दुष्यंत शकुंतला भरत शंतनू गंगा मत्स्यगंधा/सत्यवती - देवव्रत/भीष्म चित्रांगद विचित्रवीर्य भगवान व्यास पाराशर पराशर अंबा अंबिका अंबालिका पांडू कुंती माद्री - युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव पांडव (यम वायू इंद्र अश्विनीकुमार) धृतराष्ट्र गांधारी दुर्योधन दुःशासन दुःशीला दुर्धर दुर्जय कौरव शकुनी युयुत्सु विकर्ण कृपाचार्य महात्मा विदुर द्रोणाचार्य कृपी - अश्वत्थामा द्रुपद - द्रौपदी शिखंडी धृष्टद्युम्न धृष्टकेतु विराट - उत्तर कीचक सुभद्रा - अभिमन्यु उत्तरा - परिक्षीत - जनमेजय हिडींब बकासुर हिडींबा - घटोत्कच उलूपी
एकलव्य कर्ण संजय सुदामा सात्यकी
चंद्रवंश ययाती देवयानी शर्मिष्ठा - पुरू यदु यादव शुक्राचार्य कच बृहस्पती उग्रसेन - कंस वसुदेव रोहिणी देवकी -बलराम कृष्ण नंद यशोदा पूतना कालिया नाग राधा रूक्मिणी सत्यभामा जांबवंती भीष्मक रूक्मि सांब प्रद्युम्न अनिरुद्ध जांबवंत
बृहन्नडा सैरंध्री दारूक देवदत्त गांडीव
वसिष्ठ ऋषि अरूंधती धौम्य ऋषि भारद्वाज ऋषि अष्टावक्र ऋषि दुर्वास ऋषि हनुमान
हस्तिनापुर ऋषिकेश इंद्रप्रस्थ गांधार मगध वृंदावन मथुरा द्वारिका द्वारका
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